आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । मेरी रौ आँखों को झील,चेह्रे को कंवल नहीं कहता मुहब्बत से लबरेज़ कोई गज़ल नहीं कहता । ...
प्यार करना ये कबसे खता हो गयी। प्यार करना ये कबसे खता हो गयी।
कौन कहता है वक़्त बुरा है ! कौन कहता है वक़्त बुरा है !
सच कहता मैं लब हूँ, वो शब्द है, अगर मैं संगीत हूँ, वो सुर ताल है। सच कहता मैं लब हूँ, वो शब्द है, अगर मैं संगीत हूँ, वो सुर ताल है।
नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं। नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं।